संस्था में यूनियन सदस्य बनने पर श्रमिकों को कई प्रकार की सहायता और लाभ प्राप्त होंगे। इन लाभों में शामिल हैं:
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यह काम करते हैं, तो बन सकते हैं संस्था के यूनियन सदस्य
1- भवन निर्माण व सडक निर्माण के
2- राजमिस्त्री
3- राजमिस्त्री का हेल्पर
4- बढई
5- प्लम्बर फीटर इत्यादी
6- लोहार
7- पेंटर
8- इलेक्ट्रीशियन
9- टाइल्स मिस्त्री / टाइल्स मिस्त्री का हेल्पर
10- सेंट्रिंग व लोहा बांधने का का काम करने वाले
11- गेट ग्रिल बेल्डिंग का कम करने वाले
12- कंक्रीट मिश्रण करने वाले/मिक्सर मशीन चलाने वाले
13- सीमेंट गारा का मिश्रण करने वाले
14- रौलर चालक
15- रोड,पुल आदि बनाने वाले कारीगर व हेल्पर
16- बांध, पुल, सड़क या भवन निर्माण कार्य में लगे चौकीदार
17- बांध, पुल, सड़क या भवन निर्माण कार्य में बिभिन्न मशीन चलाने वाले
18- ईट निर्माण एवं पत्थर तोड़ने के कार्य में लगे मजदुर
19- रेलवे, टेलीफोन हवाई अड्डा में लगे अस्थाई कामगार
20- मंरेगा कार्य
योजनानुसार असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार उन व्यक्तियों को माना गया है जो अपनी रोजीरोटी निम्नांकित व्यवसायों से चलाते हों, जैसे
(1) कॉ-ऑपरेटिव सेक्टर
(2) अल्मुनियम उद्योग
(3) वन का संचालन तथा लकड़ी बनाने के कार्य
(4) खंडसारी उद्योग
(5) केमिकल एंड फर्मास्यूटिकल उद्योग
(6) सिमेन्ट प्री-स्ट्रेटेटेड प्रोडक्ट्स उद्योग
(7) सबुन निर्माण उद्योग
(8) कृषि नियोजन
(9) धार्मिक एवं सामाजिक संस्थान
(10) एस्बेस्टस सिमेंट उद्योग
(11) ग्लास शीट निर्माण
(12) निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स एवं क्लीनिक्स
(13) बन्दूक कारखाने
(14) पापड़ उद्योग
(15) चर्म शोधनालय और चर्म विनिर्माणशालाओं
(16) पेपर उद्योग
(17) लौण्ड्रीज एंड वाशिंग
(18) इलेक्ट्रोकास्टिंग एवं मेटल फरनिसिंग उद्योग
(19) होजियरी निर्माण
(20) सिन्दूर एवं रंग बनाने का उद्योग
(21) दफ़्ती, कार्ड बोर्ड, मील बोर्ड कारगेरेक बोर्ड, एक्स्ट्रा बोर्ड या गत्ता पेपर बोर्ड निर्माण
(22) चर्म वस्तु निर्माण
(23) उड वर्क्स फर्नीचर
(24) सिमेंट ह्यूम पाईप, बिजली का खंभा एवं रेलवे स्लीपर बनाने का उद्योग
(25) आइस्क्रीम एवं कोल्ड ड्रिंक्स
(26) पेट्रोल एवं डिजल पम्पस
(27) बिजली एवं अन्य प्रकार के बल्ब तथा फलोरेन्स ट्यूब निर्माण उद्योग
(28) फिशरीज
(29) खादी एवं ग्राम उद्योग
(30) स्वर्ण एवं रजत आभूषण तथा कलापूर्ण सामग्रियों के निर्माण
(31) प्राइवेट फेरीज एंड एल.टी.सी.
(32) जिल्दसाजी उद्योग
(33) लघु अभियंत्रण उद्योग (स्वाचालित दूकान को छोड़कर 50 से कम कामगार नियोजित करने वाले)
(34) इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग
(35) प्लाईउड उद्योग
(36) अबरख कार्य (खादान को छोड़कर) कारखाना एवं प्रतिष्ठान
(37) बलाई (फाउन्ड्री उद्योग)
(38) रबड एवं कम्पाउंड उद्योग
(39) किसी भी विश्वविद्यालय शैक्षणिकशोध अथवा सास्कृक्तिक संस्थान
(40) बिस्कुट उद्योग
(41) कोल ब्रिकेट उद्योग
(42) अभियंत्रण उद्योग (50 से अधिक कामगार नियोजित करने वाले)
(43) सिलाई उद्योग
(44) हैंडलूम उद्योग
(45) लोहा से छड़ पट्टी एंगल आवि रोलिंग का कार्य
(46) प्लास्टिक उद्योग
(47) डिस्ट्रीलरीज
(48) पत्थर तोड़ने अथवा पत्थर पीसने का कार्य
(49) शीशा उद्योग (ग्लास शीट छोड़कर)
(50) मिनरल ग्राइडिंग उद्योग
(51) अमली रेशम, कृत्रिम रेशम तथा स्टैपुल धागों से निर्माण सहित सिल्क उद्योग)
(52) तेल मिल
(53) डेयरीज एवं पॉल्ट्री फामर्श
(54) केन्तु पत्ता तोड़ने एवं तैयार करने
(55) किसी दुकान अथवा प्रतिष्ठान
(56) चावल मिल, आटा मिल एवं दाल मिल
(58) बाँध निर्माण एवं सिंचाई कार्य
(61) होटल, भोजन गृह एवं रेस्तराओं
(64) पौट्रीज
(67) हार्ड कोक भट्ठे
(59) मुद्रणालय
(57) सफाई कर्मचारी के नियोजन शुष्क शौचालय सन्निर्माण प्रतिषेध अधिनियम, 1993 के अधीन प्रतिसिद्ध क्रियाकलापों को छोड़कर
(60) तवा बिक्री प्रोत्साहन के नियोजन
(62) पब्लिक पोटर ट्रॉसर्पोट
(63) पावरलूम इंडस्ट्रीज (बिजली करघा)
(65) कोल्ड स्टोरेज
(68) सिनेमा उद्योग
(71) कूरियर सेवा
(66) ऊनी कालीन बनाने वाले या शाल बुनने वाले
(69) सड़को के निर्माण या अनुरक्षण अथवा भवन निर्माण कार्य
(72) पकाई खाद्य वस्तु बेचने वाली दुकानें
(70) चूड़ा मिल
(73) जूट उद्योग एवं अनुसंगिक कार्य
(74) ईट निर्माण
(75) रिफ्रेक्ट्रीज, फायर ब्रिक्स एवं सिरमिक्स उद्योग
(76) बीडी निर्माण
(77) चाय बगान
(78) औटोमोबाइल इंजिनियरिंग शौप्स
(79) हेयर कटिंग सैलून
(80) लाह निर्माण
(81) प्राईवेट सिक्यूरिटी एजेन्सी
(82) मिट्टी काटने के कार्यों
(83) घरेलू कामगार
(84) लादने एवं उतारने का कार्यों
(85) अगरबत्ती उद्योग
(86) नाविक के नियोजन
(87) सूचना एवं प्रौद्योगिक उद्योग
(88) बेकरीज एवं कन्फेक्सरीज
शिल्पकार :- योजनानुसार शिल्पकार उन व्यक्तियों को माना गया है जो अपनी रोजीरोटी निम्नांकित व्यवसायों से चलाते हों, जैसे
(1) लोहारगिरी, (2) टोकरी निर्माण, (3) बैलगाड़ी/साईकल ठेला/हाट ठेला चालन, (4) बढ़ईगीरी, (5) रंगरेज, (6) रिक्शा चालन, (7) खिलौना निर्माण, (8) पशुपालन, (9) पशु चराना (चरवाही), (10) कशीदाकारी, (11) रस्सी निर्माण, (12) कुम्हारगिरी, (13) नाईगिरी, (14) हस्तकरघा, (15) मल्लाहगिरी, (16) मदारीगिरी का प्रदर्शन, (17) छाता मरम्मति एवं निमार्ण, (18) भेंड़-बकरी पालन, (19) दर्जीगिरी, (20) रफ्फुगिरी, (21) पत्थर काटना, (22) फेरी लगाना, (23) ठठेरागिरी, (24) पटरी दुकानदार, (25) ऑटो रिक्शा चालन, (26) सब्जी एवं फल बिक्री, (27) मूर्ति निर्माण, (28) कपड़ा रंगाई, (29) बुनाई, (30) कूड़ा बिनने वाले आदि। उपरोक्त सभी कार्य दृष्टांत युक्त हैं।
श्रमिकों को उनके अधिकारों, सरकारी योजनाओं और कानूनी प्रक्रियाओं की व्यापक जानकारी प्रदान की जा रही है, ताकि वे अपने हितों की रक्षा कर सकें और अधिकतम लाभ उठा सकें।
देश के किसी भी कोने में काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए एक मजबूत सहायता तंत्र विकसित किया गया है, जो उन्हें सुरक्षा, समर्थन और आवश्यक संसाधनों तक सरलता से पहुंच सुनिश्चित करता है।
ठेकेदारों या कंपनियों द्वारा उनके वेतन रोकने, अनुबंध का उल्लंघन करने या धोखाधड़ी करने के मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध कराना।
श्रमिकों को उनके अधिकारों और श्रम कानूनों की जानकारी देना।
श्रम विवादों को निपटाने के लिए मुफ्त वकील या सलाहकार सेवा।
झगड़े या मारपीट की स्थिति में श्रमिक को कानूनी सुरक्षा दिलाना।
योजना का उद्देश्य:
1.अधिकारों की रक्षा और सुरक्षित वातावरणा।
2. रोजगार, वेतन, सुरक्षा और कानूनी सहायता ।
3. श्रमिकों को उनकी समस्याओं का समाधान ।
4. देश के किसी भी कोने में काम करने वाले श्रमिकों के लिए एक मजबूत सहायता तंत्र ।
योजना का लाभ:
1.प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी।
2.वेतन संबंधी धोखाधड़ी और ठेकेदारों के शोषण से बचाव।
3.कानूनी मामलों में तुरंत मदद और समाधान।
4.आत्मनिर्भरता और विश्वास का माहौल।
5.परिवारों को मानसिक शांति और सुरक्षा का एहसास।
योजना के तहत सहयोग:
1. कानूनी विशेषज्ञों से मुफ्त सहायता।।
2. मजदूरों को स्थानीय पुलिस या प्रशासन के साथ संपर्क करने में सहायता।
3.सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठाने में मार्गदर्शन करना।
4. सरकारी योजनाओं और कानूनी प्रक्रियाओं की व्यापक जानकारी ।
यह काम करते हैं, तो बन सकते हैं संस्था के यूनियन सदस्य
1- भवन निर्माण व सडक निर्माण के
2- राजमिस्त्री
3- राजमिस्त्री का हेल्पर
4- बढई
5- प्लम्बर फीटर इत्यादी
6- लोहार
7- पेंटर
8- इलेक्ट्रीशियन
9- टाइल्स मिस्त्री / टाइल्स मिस्त्री का हेल्पर
10- सेंट्रिंग व लोहा बांधने का का काम करने वाले
11- गेट ग्रिल बेल्डिंग का कम करने वाले
12- कंक्रीट मिश्रण करने वाले/मिक्सर मशीन चलाने वाले
13- सीमेंट गारा का मिश्रण करने वाले
14- रौलर चालक
15- रोड,पुल आदि बनाने वाले कारीगर व हेल्पर
16- बांध, पुल, सड़क या भवन निर्माण कार्य में लगे चौकीदार
17- बांध, पुल, सड़क या भवन निर्माण कार्य में बिभिन्न मशीन चलाने वाले
18- ईट निर्माण एवं पत्थर तोड़ने के कार्य में लगे मजदुर
19- रेलवे, टेलीफोन हवाई अड्डा में लगे अस्थाई कामगार
20- मंरेगा कार्य
योजनानुसार असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार उन व्यक्तियों को माना गया है जो अपनी रोजीरोटी निम्नांकित व्यवसायों से चलाते हों, जैसे
(1) कॉ-ऑपरेटिव सेक्टर
(2) अल्मुनियम उद्योग
(3) वन का संचालन तथा लकड़ी बनाने के कार्य
(4) खंडसारी उद्योग
(5) केमिकल एंड फर्मास्यूटिकल उद्योग
(6) सिमेन्ट प्री-स्ट्रेटेटेड प्रोडक्ट्स उद्योग
(7) सबुन निर्माण उद्योग
(8) कृषि नियोजन
(9) धार्मिक एवं सामाजिक संस्थान
(10) एस्बेस्टस सिमेंट उद्योग
(11) ग्लास शीट निर्माण
(12) निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स एवं क्लीनिक्स
(13) बन्दूक कारखाने
(14) पापड़ उद्योग
(15) चर्म शोधनालय और चर्म विनिर्माणशालाओं
(16) पेपर उद्योग
(17) लौण्ड्रीज एंड वाशिंग
(18) इलेक्ट्रोकास्टिंग एवं मेटल फरनिसिंग उद्योग
(19) होजियरी निर्माण
(20) सिन्दूर एवं रंग बनाने का उद्योग
(21) दफ़्ती, कार्ड बोर्ड, मील बोर्ड कारगेरेक बोर्ड, एक्स्ट्रा बोर्ड या गत्ता पेपर बोर्ड निर्माण
(22) चर्म वस्तु निर्माण
(23) उड वर्क्स फर्नीचर
(24) सिमेंट ह्यूम पाईप, बिजली का खंभा एवं रेलवे स्लीपर बनाने का उद्योग
(25) आइस्क्रीम एवं कोल्ड ड्रिंक्स
(26) पेट्रोल एवं डिजल पम्पस
(27) बिजली एवं अन्य प्रकार के बल्ब तथा फलोरेन्स ट्यूब निर्माण उद्योग
(28) फिशरीज
(29) खादी एवं ग्राम उद्योग
(30) स्वर्ण एवं रजत आभूषण तथा कलापूर्ण सामग्रियों के निर्माण
(31) प्राइवेट फेरीज एंड एल.टी.सी.
(32) जिल्दसाजी उद्योग
(33) लघु अभियंत्रण उद्योग (स्वाचालित दूकान को छोड़कर 50 से कम कामगार नियोजित करने वाले)
(34) इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग
(35) प्लाईउड उद्योग
(36) अबरख कार्य (खादान को छोड़कर) कारखाना एवं प्रतिष्ठान
(37) बलाई (फाउन्ड्री उद्योग)
(38) रबड एवं कम्पाउंड उद्योग
(39) किसी भी विश्वविद्यालय शैक्षणिकशोध अथवा सास्कृक्तिक संस्थान
(40) बिस्कुट उद्योग
(41) कोल ब्रिकेट उद्योग
(42) अभियंत्रण उद्योग (50 से अधिक कामगार नियोजित करने वाले)
(43) सिलाई उद्योग
(44) हैंडलूम उद्योग
(45) लोहा से छड़ पट्टी एंगल आवि रोलिंग का कार्य
(46) प्लास्टिक उद्योग
(47) डिस्ट्रीलरीज
(48) पत्थर तोड़ने अथवा पत्थर पीसने का कार्य
(49) शीशा उद्योग (ग्लास शीट छोड़कर)
(50) मिनरल ग्राइडिंग उद्योग
(51) अमली रेशम, कृत्रिम रेशम तथा स्टैपुल धागों से निर्माण सहित सिल्क उद्योग)
(52) तेल मिल
(53) डेयरीज एवं पॉल्ट्री फामर्श
(54) केन्तु पत्ता तोड़ने एवं तैयार करने
(55) किसी दुकान अथवा प्रतिष्ठान
(56) चावल मिल, आटा मिल एवं दाल मिल
(58) बाँध निर्माण एवं सिंचाई कार्य
(61) होटल, भोजन गृह एवं रेस्तराओं
(64) पौट्रीज
(67) हार्ड कोक भट्ठे
(59) मुद्रणालय
(57) सफाई कर्मचारी के नियोजन शुष्क शौचालय सन्निर्माण प्रतिषेध अधिनियम, 1993 के अधीन प्रतिसिद्ध क्रियाकलापों को छोड़कर
(60) तवा बिक्री प्रोत्साहन के नियोजन
(62) पब्लिक पोटर ट्रॉसर्पोट
(63) पावरलूम इंडस्ट्रीज (बिजली करघा)
(65) कोल्ड स्टोरेज
(68) सिनेमा उद्योग
(71) कूरियर सेवा
(66) ऊनी कालीन बनाने वाले या शाल बुनने वाले
(69) सड़को के निर्माण या अनुरक्षण अथवा भवन निर्माण कार्य
(72) पकाई खाद्य वस्तु बेचने वाली दुकानें
(70) चूड़ा मिल
(73) जूट उद्योग एवं अनुसंगिक कार्य
(74) ईट निर्माण
(75) रिफ्रेक्ट्रीज, फायर ब्रिक्स एवं सिरमिक्स उद्योग
(76) बीडी निर्माण
(77) चाय बगान
(78) औटोमोबाइल इंजिनियरिंग शौप्स
(79) हेयर कटिंग सैलून
(80) लाह निर्माण
(81) प्राईवेट सिक्यूरिटी एजेन्सी
(82) मिट्टी काटने के कार्यों
(83) घरेलू कामगार
(84) लादने एवं उतारने का कार्यों
(85) अगरबत्ती उद्योग
(86) नाविक के नियोजन
(87) सूचना एवं प्रौद्योगिक उद्योग
(88) बेकरीज एवं कन्फेक्सरीज
शिल्पकार :- योजनानुसार शिल्पकार उन व्यक्तियों को माना गया है जो अपनी रोजीरोटी निम्नांकित व्यवसायों से चलाते हों, जैसे
(1) लोहारगिरी, (2) टोकरी निर्माण, (3) बैलगाड़ी/साईकल ठेला/हाट ठेला चालन, (4) बढ़ईगीरी, (5) रंगरेज, (6) रिक्शा चालन, (7) खिलौना निर्माण, (8) पशुपालन, (9) पशु चराना (चरवाही), (10) कशीदाकारी, (11) रस्सी निर्माण, (12) कुम्हारगिरी, (13) नाईगिरी, (14) हस्तकरघा, (15) मल्लाहगिरी, (16) मदारीगिरी का प्रदर्शन, (17) छाता मरम्मति एवं निमार्ण, (18) भेंड़-बकरी पालन, (19) दर्जीगिरी, (20) रफ्फुगिरी, (21) पत्थर काटना, (22) फेरी लगाना, (23) ठठेरागिरी, (24) पटरी दुकानदार, (25) ऑटो रिक्शा चालन, (26) सब्जी एवं फल बिक्री, (27) मूर्ति निर्माण, (28) कपड़ा रंगाई, (29) बुनाई, (30) कूड़ा बिनने वाले आदि। उपरोक्त सभी कार्य दृष्टांत युक्त हैं।
यूनियन सदस्यतालाभ
विवाह के लिए वित्तीय सहायता 50000/-
निबंधित पुरुष/महिला कामगार को 3 वर्षों तक अनिवार्य रूप से सदस्य रहने पर, उनके दो पुत्रियों को
(18 वर्ष के बाद शादी करने पर) 50 पचास हजार रुपये अथवा स्वयं महिला सदस्य को भी 50 पचास हजार रुपये मिलेगा, लेकिन दूसरी शादी करने वाले श्रमिक इस योजना के हकदार नहीं है | यह योजना अंर्तजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के अतिरिक्त है | योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
मातृत्व लाभ- 35500/-
न्यूनतम एक वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर निबंधित महिला निर्माण कामगार को प्रथम दो प्रसवों पर
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के 90 दिनों की मजदूरी के समतुल्य राशि मिलेगा है | यह अनुदान स्वास्थ, समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त है
योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
पितृत्व लाभ - 6000/-
न्यूनतम 1 वर्ष के सदस्य पूर्ण होने पर पुरुष कामगार, जिनकी पत्नी बोर्ड में निबंधित नहीं हो उनकी पत्नी के
प्रथम 2 प्रसवों के लिए ₹6000/- (छ:हजार रुपये) प्रति प्रसव की दर से लाभ मिलेगा | योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
साईकिल क्रय योजना - 35,00/-
न्यूनतम 1 वर्ष के सदस्यता पूर्ण करने के पश्चात साईकिल खरीदने के बाद अधिकतम 35,00/-
(तीन हजार पांच सौ) रुपये मिलेगा, साईकिल खरीदने का रसीद उपलब्ध कराने पर | योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
भवन मरम्मती अनुदान योजना - 20000/-
3 वर्षों के सदस्यता पूर्ण होने पर, सिर्फ एक बार अधिकतम 20 हजार रूपये
भवन मरम्मती के लिए अनुदान मिलेगा | लेकिन जिन्हें पूर्व में भवन निर्माण,साईकिल एवं औजार के लिए राशि प्राप्त हो चुका है उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा | योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
स्वाभाविक मृत्यु लाभ- ₹200000/-
स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में श्रमिक के परिवार को ₹2,00,000/- (दो लाख रुपये) की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
(भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत श्रमिकों को उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए मृत्यु लाभ योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है:
दुर्घटना मृत्यु:₹4,00,000/-
यदि श्रमिक की मृत्यु किसी दुर्घटना के कारण होती है, तो परिवार को ₹4,00,000/- (चार लाख रुपये) की धनराशि दी जाएगी।
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत श्रमिकों को उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए मृत्यु लाभ योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है:
विकलांगता पेंशन ₹75000/-
₹1000/- (एक हजार रुपये ) प्रतिमाह, लकवा, कोढ़, टी.बी. अथवा दुर्घटना आदि में
स्थाई विकलांगता की स्थिति में तथा स्थाई पूर्ण निशक्त की स्थिति में एकमुश्त ₹75000/- (पचहतर हजार रुपये) एवं आंशिक की नि:शक्त की स्थिति में एकमुश्त ₹50000/- (पचास हजार रुपये) सरकार देगी |योजनाएँ - भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
पेंशन ₹1000/- प्रतिमाह
न्यूनतम 5 वर्ष की सदस्यता पूर्ण होने पर तथा 60 वर्ष की आयु के बाद ₹1000/-
(एक हजार रुपये) प्रतिमाह पेंशन देय होगा | बशर्ते कि अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत पेंशन का लाभ ना मिलता हो | परिवार पेंशन
पेंशनधारी की मृत्यु के बाद पेंशनधारी को प्राप्त राशि का 50% परिवार को पेंशन मिलेगा |
बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना, 2011
श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार
बिहार शताब्दी योजना
स्थायी आंशिक निःशक्तता: ₹37,500/-
बिहार शताब्दी योजना
पूर्ण स्थायी निःशक्तता: ₹75,000/-
बिहार शताब्दी योजना
दुर्घटना मृत्यु: ₹1,00,000/-
बिहार शताब्दी योजना
स्वाभाविक मृत्यु: ₹30,000/-
बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना
मजदूरों की हितैषी बिहार सरकार
प्रवासी मजदूर योजन
स्थायी आंशिक अपंगता: ₹50,000/-
प्रवासी मजदूर योजन
पूर्ण स्थायी अपंगता: ₹1,00,000/-
प्रवासी मजदूर योजन दुर्घटना मृत्यु पर सहायता:
आश्रित परिवार को ₹2,00,000/- की आर्थिक मदद।
उचित सलाह और मार्गदर्शन:
श्रमिकों को उनके अधिकारों और श्रमिक कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा और उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
श्रम विवाद समाधान में कानूनी सहायता:
श्रमिकों को वेतन न मिलना, मारपीट, भेदभाव या ठेकेदार की धोखाधड़ी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी।
स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा:
श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाएगा।
समाज में सम्मान:
श्रमिकों के समाज में योगदान को पहचाना जाएगा और उन्हें सम्मान प्रदान किया जाएगा।
प्रवासी श्रमिकों के लिए सहायता:
प्रवासी श्रमिकों को उनके समस्याओं का समाधान, रोजगार, वेतन, सुरक्षा, और कानूनी सहायता दी जाएगी।
कागजी प्रक्रिया में मदद:
श्रमिकों को कागजी कार्यवाही में मदद मिलेगी, जैसे उनके दस्तावेज़ तैयार करना, पहचान पत्र, बैंक खाता, और अनुबंध तैयार करना।
स्थानीय पुलिस और प्रशासन से संपर्क:
श्रमिकों को कानूनी सुरक्षा दिलाने में मदद की जाएगी और उनके विवादों को निपटाने के लिए पुलिस या प्रशासन से सहायता ली जाएगी।
मूलभूत जरूरतों की गारंटी:
वेतन संबंधी धोखाधड़ी, शोषण, और अन्य अनुबंध उल्लंघन से बचाव किया जाएगा और श्रमिकों को उचित कानूनी संरक्षण मिलेगा।
आत्मनिर्भरता और विश्वास:
श्रमिकों के लिए आत्मनिर्भरता और विश्वास का माहौल तैयार किया जाएगा, ताकि वे अपने अधिकारों को समझें और उनकी रक्षा कर सकें।
सदस्यता आवेदन प्रक्रिया
संस्था में सदस्य बनने के लिए आवेदक को आवेदन पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। आवेदन पत्र की स्वीकृति या अस्वीकृति संस्था की कार्यकारिणी समिति द्वारा दी जाएगी।
सदस्यता आवेदन पत्र की स्वीकृति और सूचना
आवेदन पत्र की स्वीकृति के बाद, सदस्य को SMS द्वारा सदस्यता नंबर की सूचना उनके मोबाइल नंबर पर भेज दी जाएगी। इस नंबर के माध्यम से वे अपनी सदस्यता की पुष्टि कर सकते हैं और संस्था से संबंधित सभी सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हमारा वादा:
प्रवेश शुल्क
संस्था में सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक सदस्य को ₹125/- का प्रवेश शुल्क जमा करना होगा।
वार्षिक सदस्यता शुल्क
इसके अतिरिक्त, जो सदस्य ₹185/- वार्षिक सदस्यता शुल्क जमा करेंगे, वे संघ सदस्य (Union Member) बन सकते हैं और संस्था द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं और लाभों का लाभ उठा सकते हैं।
हमारी मूल्य:
पारदर्शिता:
हम हर कार्य में पारदर्शिता को महत्व देते हैं और इसे अपने सभी प्रक्रियाओं में प्राथमिकता देते हैं।
निष्ठा:
हम अपने मिशन के प्रति निष्ठावान हैं और समाज की सेवा में समर्पित हैं।
समानता:
हम समाज के हर वर्ग को समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमारा वादा:
नईदिशा पब्लिक सर्विसेज का वादा है कि हम हर उस नागरिक तक पहुंचेंगे जो सरकारी सेवाओं से वंचित है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति बिना जानकारी और सहायता के पीछे न छूटे। हमारे प्रयास एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए हैं जहां हर कोई अपने अधिकारों को जान सके, उन्हें प्राप्त कर सके, और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा सके।